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जहाँ तेरी मोहब्बत के किस्से खत्म होने लगे नफरतों क

जहाँ तेरी मोहब्बत के किस्से खत्म होने लगे
नफरतों के अंकुर वहीं उगने लगे थे

तेरी मोहब्बत दफ़न होने लगी 
वहीं नफरतों के सिलसिले शुरू होने लगे,

तुम्हारी दगावाजी ने जीना सिखा दिया
हमारी जुदाई के चर्चें जुवां सबकी सजे

अगर रिश्ता मोहब्बत का नहीं मंजूर था
तो जुदाई के फसाने क्यों बताने जमाने लगे थे।।

©vimlesh Gautam
  # नफ़रत