कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी है। संस्कार की तु तरणी है।। देवो की तु भूमि है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। तपोभूमि की स्थली है। मंदिर और घाटी की नगरी है।। सरिता और तालावो से परिपूर्ण। कर्मवीर हम भारत माँ के। आयुर्वेद की स्थली है। जड़ी -बूटी से भरापड़ा ।। हिमालय की गोद मे बैठा। कर्मवीर हम भारत माँ के। गंगा, यमुना की धारा वहती चहुँदिस है। जंगल-झार से हरा - भरा मैदान है।। फूलो की घाटी से सुगंधित भारत महान है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। ( संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी है। संस्कार की तु तरणी है।।