जब कभी तू अना मेरे शहर तो कुछ रास्ते मेरी गलियों से भी होकर गुजरते हैं तू उन गलियों में चली आना । मेरी अखिया आज भी तकती है तेरे दीदार को तू चली आना। भले तू पूरा दिन न ठहरो पर चंद लम्हों के लिए ही सही तू चली आना । कर देना अपनी महक से मेरी गलियों की हवाओ को सुगंधित तू ऐसी महक बन कर आना। अब तो तेरा रस्ता तकते उमर भी गुजर गई फिर भी बैठा हूं तेरे इंतज़ार में तू जिस्म से मेरी रूह निकल ने से पहले चली आना। #चली आना