Tunnel "बेटी की वेदना" हक़ मांग रही गुड़िया तेरी, बाबा मेरे, अम्मा मेरी.. मैं कली हूँ मुझको खिलने दो, ना खत्म करो हस्ती मेरी.।। समझौते सारी दुनिया के मुझको ही क्यूँ करने पड़ते हैं, बिन किये गलत ना जाने क्यूँ, इतने दुःख सहने पड़ते हैं, मैं सहती हूँ, ना कहती हूँ, अपनी आँखों से बहती हूँ, इस बोलने वाली दुनिया में, चुप मैं ही भला क्यूँ रहती हूँ, मैं सही हूँ तो ज़ुल्मी आगे, क्यों आँख भला झुकती मेरी, मैं कली हूँ मुझको खिलने दो, ना खत्म करो हस्ती मेरी।। मैं भी तो इक इंसान ही हूँ, तुम दोनों की पहचान ही हूँ, मेरा भी इक अन्तर्मन है, सपनों का सागर इक मन है, मैंने भी देखे हैं सपने कुछ लक्ष्य मेरे भी हैं अपने, मैं उनको जो पा जाऊंगी, तुम्हारा ही तो मान बढ़ाऊंगी गर तुम जो मुझ पर ओट करो, ना बुझे कभी शम्मा मेरी.. मैं कली हूँ मुझको खिलने दो, ना ख़त्म करो हस्ती मेरी वरना ये जो मौन पड़ा है मन मेरा, कल बागी भी हो सकता है, जो ख़्वाबों में भी ना सोचा होगा वो अनचाहा हो सकता है हैं पंख मिले तो उड़ूँगी भी, मेरे भीतर वेग उमड़ता है मैं मुक्त पवन की तरह स्वछन्द, मुझे देखें कौन पकड़ता है "निस्वार्थ" हूँ इसलिए शांत हूँ मैं, ना लो "अग्नि-परीक्षा" मेरी, हक़ मांग रही गुड़िया तेरी बाबा मेरे, अम्मा मेरी.. "बेटी की वेदना" #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ