फकीरा,मन पतंग हो गया,तेरा संग हो गया तू हर तरफ, हर जगह, सब रंग हो गया आंसू झरे,भरम गिरे,भरम गिरे सब ठाट के स्वप्न सिंदूरी उड़ने लगे,दुख सुख निकले काठ के सब तेरी धूप पिघलकर,तुझमें भंग हो गया तू हर तरफ, हर जगह, सब रंग हो गया नाच रहा था रोते रोते,दुख सुख ,खोने पाने से भय का सागर था लहराता,जीवन के मुहाने से लय पे तेरी नचते नचते, खुद मृदंग हो गया तू हर तरफ, हर जगह, सब रंग हो गया भला बुरा ,सब पाप पुण्य,मन के रंग निराले हैं अच्छे बुरे और रूप करूप,तूने सभी संभाले हैं चिता जल गई चिंताओं की,तेरा मलंग हो गया तू हर तरफ, हर जगह, सब रंग हो गया भेद ये गहरा बात जरा सी,मन का सारा जाल है तन की काया तना नहीं है,वो तो केवल छाल है देख अपने रूप अरूप को,कैसा दंग हो गया तू हर तरफ, हर जगह, सब रंग हो गया सब है तुझमें,तू ही सब में,तूझे भला क्या दूं शाश्वत ठहरा जीवन दरिया,तन बहता गंग हो गया तू हर तरफ, हर जगह, सब रंग हो गया फकीरा,..... . . . मन पतंग हो गया ...........,..... . . .मन पतंग हो गया ©purvarth #फ़क़ीर #Nojoto