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उड़ जाने का कुछ इल्ज़ाम हम पर लगाया उसने, वो परिंदा

उड़ जाने का कुछ इल्ज़ाम हम पर लगाया उसने,
वो परिंदा आशियाँ नहीं चाहता, उड़ते-उड़ते बताया उसने,
हम हवाओं के रुख़ से लड़ने को तैयार थे अलबत्ता,
कि ख़्वाबों को भी ख़ाक में मिलाया उसने।

धूप निकलने वाली है, इशारों में कहता चला गया,
सर्द मौसम के आने का ज़िक्र छुपाया उसने,
गिर गए, चोट खाकर अपनी ही नज़रों में,
यूँ ज़माने की नज़रों में काफ़ी हद तक उठाया उसने।

©viJAY आशियाँ - घर 
अलबत्ता - बेशक़

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उड़ जाने का कुछ इल्ज़ाम हम पर लगाया उसने,
वो परिंदा आशियाँ नहीं चाहता, उड़ते-उड़ते बताया उसने,
हम हवाओं के रुख़ से लड़ने को तैयार थे अलबत्ता,
कि ख़्वाबों को भी ख़ाक में मिलाया उसने।

धूप निकलने वाली है, इशारों में कहता चला गया,
सर्द मौसम के आने का ज़िक्र छुपाया उसने,
गिर गए, चोट खाकर अपनी ही नज़रों में,
यूँ ज़माने की नज़रों में काफ़ी हद तक उठाया उसने।

©viJAY आशियाँ - घर 
अलबत्ता - बेशक़

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vijaykumar6964

viJAY

New Creator

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