शृंगार छन्द काश उनसे होती अब बात । सुखद होते अपने दिन रात। लटों में फूल लगाता आज। हृदय पर उनके अपना राज।। गेसुओं में जो लगा गुलाब। हुआ है फीका अब महताब। लगी है उनकी चाल कमाल। चेहरा जैसे रंग गुलाल ।। ०९/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR शृंगार छन्द काश उनसे होती अब बात । सुखद होते अपने दिन रात। लटों में फूल लगाता आज। हृदय पर उनके अपना राज।। गेसुओं में जो लगा गुलाब।