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मैं तो बस पत्थर ही, पूजता था। जब मुझे कुछ नहीं, सू

मैं तो बस पत्थर ही,
पूजता था।
जब मुझे कुछ नहीं,
सूझता था।
लोग पत्थर के भरोसे आए थे।
मैं खुद से जूझता था।
भीड़ थी चारों तरफ,
बस मैं अकेला था।
तुम सबको ढूंढते थे,
मैं तुम्हें ढूंढता था।

©Satyaveer Singh
  #पत्थर