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अपनी संवेदनाओं को परिभाषित भी उन आँखों मैं करना

अपनी  संवेदनाओं को परिभाषित  भी उन आँखों मैं करना चाहा

जहाँ भावनाओं की मात्र अनदेखी ही हैं उस मोड़ तक ।
अपनी  संवेदनाओं को परिभाषित  भी उन आँखों मैं करना चाहा

जहाँ भावनाओं की मात्र अनदेखी ही हैं उस मोड़ तक ।

उस मोड़ तक । #poem