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जिसे चाहता हूं, उसे पा नहीं सकता, जुदा होके उनसे,

जिसे चाहता हूं, उसे पा नहीं सकता,
जुदा होके उनसे, सितम ढां नहीं सकता!

दर्द तो बहुत हैं सिने में, अफसोस
हर किसी को बता नहीं सकता!

उनके दिल में रहने का किराया बहुत था,
लिया हैं जो कर्ज उसे चुका नहीं सकता!

निकले हैं आग के समंदर से जैसे तैसे,
अब इश्क की गलतियां दोहरा नहीं सकता!

मिला है जो ज़ख्म सब अपनों के हैं,
कितना बदनसीब हूं कि शोर मचा नहीं सकता!

ऐ "कांत" तेरी तन्हाईयां ही ठीक है,
महफ़िले दुश्मनों की अब सज़ा नहीं सकता! #Bata_Nahi_Sakta
जिसे चाहता हूं, उसे पा नहीं सकता,
जुदा होके उनसे, सितम ढां नहीं सकता!

दर्द तो बहुत हैं सिने में, अफसोस
हर किसी को बता नहीं सकता!

उनके दिल में रहने का किराया बहुत था,
लिया हैं जो कर्ज उसे चुका नहीं सकता!

निकले हैं आग के समंदर से जैसे तैसे,
अब इश्क की गलतियां दोहरा नहीं सकता!

मिला है जो ज़ख्म सब अपनों के हैं,
कितना बदनसीब हूं कि शोर मचा नहीं सकता!

ऐ "कांत" तेरी तन्हाईयां ही ठीक है,
महफ़िले दुश्मनों की अब सज़ा नहीं सकता! #Bata_Nahi_Sakta
rkant9296301400916

RKant

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