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कौतूहल सपनों के नगर में अनजानी थी एक एक कदम। बेहा

कौतूहल

सपनों के नगर में अनजानी थी एक एक कदम।
बेहाल धड़कन संग ससुराल में बढ़ रही थी कदम ।
कौतूहल से हर चेहरे को परख रही थी बेचैन नजरें,
जाने अगले पल जिंदगी, दिखाए कौन कौन से नखरें।

अम्बिका मल्लिक ✍️

©Ambika Mallik
  #कौतूहल  poonam atrey Mili Saha Poonam Awasthi Anil Ray Bhavana kmishra  वंदना .... कवि संतोष बड़कुर