माना कि मुमकिन न था तेरे लिए घर मेरे आना, कभी वक्त का तकाज़ा था कभी हालत का बहाना। हम भी कहाँ पलकें बिछाए बैठे थे इंतज़ार में तेरे, बैठे थे हम तो लेके, तुझसे न मिलने का बहाना। mana ke