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डायरी डायरी, उसके हर पन्ने बातें बयां करती है भ

डायरी 

डायरी, उसके हर पन्ने 
बातें बयां करती है भारी भारी
जब पलटते है पन्ने उसके 
कइ यादें लब्ज़ बनके
कभी मुस्कान बनती है होठों के
कभी आंसू बन
रिश्ते को ढूंढ़ती हैं बारी बारी 

सुकून तो चाहिए था ज़िन्दगी को
सुकून कभी बना जिम्मेदारी
चलता गया चलता गया 
हर मोड़ पर  बनता गया मैं 
चन्द्र अल्फाज़ या एक किरदार 
सफर कब शुरू हुआ 
कहां खत्म हुई 
पन्ने भर भर कर है कहानी 
इसमें मेरी या तुम्हारी 

इन्तजार कहां खत्म होती है 
आज भी चल रही है सफर कि तयारी 
पिठ पर लादे उम्मीद के बोझ 
दिल में लिए दर्द बेशूमार 
आंखें हैं अब भी भारी भारी
रुखसत किसे दूं 
अब भी रास्ते लम्बी है बहुत 
ये ख़ामोशी भी मेरी ये दर्द भी मेरी ।।

©Tafizul Sambalpuri #डायरी  'दर्द भरी शायरी' Shiv Narayan Saxena  Vishalkumar "Vishal"  Writer Zindagi  Yogenddra Nath Yogi
डायरी 

डायरी, उसके हर पन्ने 
बातें बयां करती है भारी भारी
जब पलटते है पन्ने उसके 
कइ यादें लब्ज़ बनके
कभी मुस्कान बनती है होठों के
कभी आंसू बन
रिश्ते को ढूंढ़ती हैं बारी बारी 

सुकून तो चाहिए था ज़िन्दगी को
सुकून कभी बना जिम्मेदारी
चलता गया चलता गया 
हर मोड़ पर  बनता गया मैं 
चन्द्र अल्फाज़ या एक किरदार 
सफर कब शुरू हुआ 
कहां खत्म हुई 
पन्ने भर भर कर है कहानी 
इसमें मेरी या तुम्हारी 

इन्तजार कहां खत्म होती है 
आज भी चल रही है सफर कि तयारी 
पिठ पर लादे उम्मीद के बोझ 
दिल में लिए दर्द बेशूमार 
आंखें हैं अब भी भारी भारी
रुखसत किसे दूं 
अब भी रास्ते लम्बी है बहुत 
ये ख़ामोशी भी मेरी ये दर्द भी मेरी ।।

©Tafizul Sambalpuri #डायरी  'दर्द भरी शायरी' Shiv Narayan Saxena  Vishalkumar "Vishal"  Writer Zindagi  Yogenddra Nath Yogi