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जिसे गुनगुनाऊँ, तू संगीत है वो, जुड़ी डोर जिससे

जिसे  गुनगुनाऊँ, तू  संगीत  है वो,
जुड़ी डोर जिससे तू मनमीत है वो।

तुझे चाँद कहकर निहारूँ ये अम्बर
खयालों में दाखिल,  मेरी प्रीत है वो।

बहारों की रौनक,तू बारिश की सरगम
तपिश  में  सुहानी,  लगे शीत  है वो।

समंदर  से  गहरी,  मुहब्बत  तू  मेरी,
अगर  डूब  जाउँ, तो भी  जीत है वो।

'ग़ज़ल' बन गई, शब्द तुझसे मिले यूँ,
किताबों  में  मशहूर, तू  गीत है  वो।

------श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल' #HumTum #love
#श्वेता
#nojoto
#फीलिंग्स
जिसे  गुनगुनाऊँ, तू  संगीत  है वो,
जुड़ी डोर जिससे तू मनमीत है वो।

तुझे चाँद कहकर निहारूँ ये अम्बर
खयालों में दाखिल,  मेरी प्रीत है वो।

बहारों की रौनक,तू बारिश की सरगम
तपिश  में  सुहानी,  लगे शीत  है वो।

समंदर  से  गहरी,  मुहब्बत  तू  मेरी,
अगर  डूब  जाउँ, तो भी  जीत है वो।

'ग़ज़ल' बन गई, शब्द तुझसे मिले यूँ,
किताबों  में  मशहूर, तू  गीत है  वो।

------श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल' #HumTum #love
#श्वेता
#nojoto
#फीलिंग्स