Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब भी हम किसी वृक्ष को देखते हैं, सर्वप्रथम हमारी

जब भी हम किसी वृक्ष को देखते हैं, सर्वप्रथम हमारी दृष्टि पड़ती है उसके पुष्पों पर हरे भरे पत्तों पर रसीले फलों पर किंतु वो कठोर वो निस्वार्थ जड़ उससे तो हम कभी आकर्षित होते ही नही अब क्या इसका अर्थ ये है कि जिसने बलिदान दिया, जो उस वृक्ष की नीव है जिसने उस वृक्ष को बढ़ाया उसका कोई मोल ही नहीं, नही, स्मरण रखिएगा जब भी हम किसी वृक्ष को जल देते हैं, उसके पत्तों, पुष्पों या फलों को नहीं उसकी जड़ को देते हैं। जब भी हम किसी वृक्ष की पूजा करते हैं। यही पुष्प यही तिलक हम उसकी जड़ को अर्पित करते हैं। अर्थात कहीं ना कहीं अनजाने में ये प्रकृति आपको वो मान दे ही देती है जिसके आप पात्र हैं और इसीलिए तो मैं कहता हूं। तू कर्म किए जा तू फल की चिंता ना कर तुझे वो मान अवश्य मिलेगा जिसका तू पात्र है बस विश्वास कर।

राधे राधे

©Karan Mehra #krishnvani
जब भी हम किसी वृक्ष को देखते हैं, सर्वप्रथम हमारी दृष्टि पड़ती है उसके पुष्पों पर हरे भरे पत्तों पर रसीले फलों पर किंतु वो कठोर वो निस्वार्थ जड़ उससे तो हम कभी आकर्षित होते ही नही अब क्या इसका अर्थ ये है कि जिसने बलिदान दिया, जो उस वृक्ष की नीव है जिसने उस वृक्ष को बढ़ाया उसका कोई मोल ही नहीं, नही, स्मरण रखिएगा जब भी हम किसी वृक्ष को जल देते हैं, उसके पत्तों, पुष्पों या फलों को नहीं उसकी जड़ को देते हैं। जब भी हम किसी वृक्ष की पूजा करते हैं। यही पुष्प यही तिलक हम उसकी जड़ को अर्पित करते हैं। अर्थात कहीं ना कहीं अनजाने में ये प्रकृति आपको वो मान दे ही देती है जिसके आप पात्र हैं और इसीलिए तो मैं कहता हूं। तू कर्म किए जा तू फल की चिंता ना कर तुझे वो मान अवश्य मिलेगा जिसका तू पात्र है बस विश्वास कर।

राधे राधे

©Karan Mehra #krishnvani