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किस बात का गुरुर है मुझको जरा बताना जाना वहां ज़र

किस बात का गुरुर है 
मुझको जरा बताना
जाना वहां ज़रूर है
फिर क्यों है बैर ठाना
किस बात.....
जो भी है शानो शौकत
बस चार दिन की रौनक
फिर खाक ही हो जाना
किस बात......
ये जो वक्त की आवाज है
इसके गज़ब अंदाज़ है
कुछ दूर जाके आना
किस बात......
तकदीर की लिखावट
में हो चुकी मिलावट 
"सूर्य" को भी ढल है जाना
किस बात.......

©R K Mishra " सूर्य "
  #गुरुर