क्या मिसाल दूँ समझौते की किसको कहते हैं, काँटों में खिलते गुलाब से मिलकर रहते हैं, कर्मशील इंसान की है पहचान यही जग में, ख़ुश्बू और मुस्कान साथ में लेकर चलते हैं, राह के कंटक से बचकर ही चलना श्रेयस्कर, दुर्जन तो मीठी बातों से सबको छलते हैं, मत तलाश ख़ुशियाँ गैरों की झोली में अपनी, नदियाँ अपनी प्यास और जल लेकर बहते हैं, रिश्ते की बुनियाद जरूरत के बलपर टिकती, प्रेम और विश्वास फूल सा दिल में खिलते हैं, हर दिन इस उम्मीद में थककर सो जाते 'गुंजन', धरती और आकाश एक दिन क्षितिज पे मिलते हैं, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #क्षितिज पे मिलते हैं#