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अभी किसी ने कहा "इश्क़ उससे करों जिसमें खामियाँ बह

अभी किसी ने कहा "इश्क़ उससे करों जिसमें 
खामियाँ बहुत है" इक़ बार यें हमनें गुनाह किया है..!

इस उम्मीद पे की सब सही हो जायेगा इक़ दिन 
खामियों और तरक्की हुयी,यें हमनें गुनाह किया है..!

वो अब बदलने से रहें, कोई गुंजाइश ही नहीं बची 
ज़िन्दगी की तलाश थीं,अब मौत ने आगाह किया है..!

इस इश्क़ में देखो कितने तबाह भटक रहें दर ब दर 
उम्मीद थीं उससे,क्या ख़त्म खामियाँ को किया है.!

ख़त्म खामियाँ नहीं हुयी,यें इश्क़ में तबाह,पागल है 
आवाज़ आयी अपना देखो,तुमने ख़ुद क्या किया है..!

खामियों से इंसान तबाह है,घर बर्बाद है आशिक़ी में 
उसकी ख़ातिर सब छोड़ा,देख तुमने यें क्या किया है..!!

©Shreyansh Gaurav #गज़ल 
#Thinking
अभी किसी ने कहा "इश्क़ उससे करों जिसमें 
खामियाँ बहुत है" इक़ बार यें हमनें गुनाह किया है..!

इस उम्मीद पे की सब सही हो जायेगा इक़ दिन 
खामियों और तरक्की हुयी,यें हमनें गुनाह किया है..!

वो अब बदलने से रहें, कोई गुंजाइश ही नहीं बची 
ज़िन्दगी की तलाश थीं,अब मौत ने आगाह किया है..!

इस इश्क़ में देखो कितने तबाह भटक रहें दर ब दर 
उम्मीद थीं उससे,क्या ख़त्म खामियाँ को किया है.!

ख़त्म खामियाँ नहीं हुयी,यें इश्क़ में तबाह,पागल है 
आवाज़ आयी अपना देखो,तुमने ख़ुद क्या किया है..!

खामियों से इंसान तबाह है,घर बर्बाद है आशिक़ी में 
उसकी ख़ातिर सब छोड़ा,देख तुमने यें क्या किया है..!!

©Shreyansh Gaurav #गज़ल 
#Thinking