इक़ नये सवेरे, नये उजाले की आस का तलबगार हूँ मैं, तेरी बे-बंदिश ज़ुल्फों की छांव का राहगीर हूँ मैं आज बारिशें आसमानों की जानिब से ना हो, मुनासिब है मेरी हसरतें रोकर ही भिगा दें तुझे, बस यहीं आज चाहता हूँ मैं। ©Abdullah Qureshi चाहतें बेशुमार.... #Nojoto #nojotonews #nojotopoetry #Love #Hindi #urdu #arzhai #Smile