#फर्ज निभाने की ख़ातिर छोड़ा अपना #गांव था.. ढेर रूपईया कमाएंगे शहर को मैं आ गया था.. बहन के हाथ पीले करने की मुझपे ही जिम्मेवारी थी.. शहर में आकर #भीड़ का मैं भी हिस्सा बन गया.. भीड़ में हर शख्स परेशान है हर की अपनी चाहत है.. #फर्ज़ की ख़ातिर परेशान सब सबकी एक सी हालत थी.. #अजय57