ये नदियों के किनारे सदियों में पार कर लेंगे ये तारे किसी बंजारे के मोहताज नही ये दिन और रात मेरे हैं ये सफरनामा मेरा है ये जंग जो मेरी है ये किसी फरेबी की मोहताज नही।। #मोहताज_नही_4 #गज़ल