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tatya luciferin
गज़ल उससे मिलने के पहले, मुझे उसके शहर जाना है, मेरी मुहब्बत से मिलने, मुझे उसके घर जाना है। हवा में खुशबू बसी है, तेरे नाम की अब तक , मुझे उस गली में, तेरी याद से भर जाना है। हर इक मोड़ पर उसके क़दमों की आहट का, चुपके से चाहत का पैग़ाम, हवा के सफ़र जाना है। दुआओं में रोया, मोहब्बत में खोया, मगर फिर भी, सपनों के क़ाबे में सजदा करूँ, मुझे तेरे दर जाना है। उसके ख्वाबों में भटकते हुए शाम हो गई मेरी, मगर हक़ीकत की राहों में मुझको ही बिखर जाना है। चांद और सितारों से कहो झूठ, हमें नींद आ रही हैं, सफ़र की इन राहगुज़रों में मुझे ही सफ़र जाना है। मुहब्बत के रास्ते मुश्किल हैं तात्या लेकिन डरना नहीं, यहाँ हर किसी को किसी रोज़ मिट्टी में भर जाना है। नज़ारे सब देखते हैं, मगर वो दिखती नहीं, किसी रोज़ तुझसे मिलने से पहले मर जाना है। वो खुद भी सोया हैं बहुत, मेरी चाहतों के संग, मगर हमें तो वफ़ा की, कसम खा के मर जाना है। - संतोष तात्या शोधार्थी ©tatya luciferin #evening shayari on love shayari sad zindagi sad shayari shayari on life #Tatya #tatyaluciferin #santoshtatya #nojoto2025 #nojotoshayari #NojotoGajal #गज़ल 2025
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read moreMSA RAMZANI
जुल्फो के झरोको से देखा है किसी ने। फिर तीर निगाहों से फेंका है किसी ने।। हर जख्म सिसकता है जब याद सताती है। सीने से मेरे दिल को खींचा है किसी ने।। इस इश्क का दुश्मन तो मुद्दत से जमाना है। अरमां का नशेमन भी फूंका है किसी ने।। दिन रात गुजरते है यूं तेरे ख्यालो मे। अफसाना ए हसरत भी लिखा है किसी ने।। हम कैद कफ्स मे है सय्याद भी जालिम है। अन्जाम मुहब्बत का सोचा है किसी ने।। कितना भी कोई चाहे रमजानी रुक तो नहीं सकता। क्या जर्फ मेरा यारो देखा है किसी के।। 25/10/15 ©MSA RAMZANI गजल #गजल #गज़ल #ghazal #gazal Tushar Yadav Anupriya maria chohaan Pooja Udeshi Madhiya Mir
MSA RAMZANI
White दिन तुम्हारा है शब तुम्हारी है उम्र जिवनी है सब तुम्हारी है। क्यों न रश्क अपनी जिदगी में करूं पहले मेरी थी अब तुम्हारी है। यह हमे और वह तुम्हे हासिल गम हमारा तरब तुम्हारी है। अपनी समझो न कोई दूर की चीज हाथ आ जाये तब तुम्हारी है। हर तमन्ना चनी गई दिल से है अगर, वो तलब तुम्हारी है। तुम मिले हो न मिल सकोगे हमे आरजू बेसबब तुम्हारी है। अपनी दुनिया बसाओ यह दुनिया कब हमारी है कब तुम्हारी है। क्या करें कोई चारा साज रमजानी कैफियत ही अजब तुम्हारी है। 20/10/15 ©MSA RAMZANI गजल #गजल #गज़ल #gazal #ghazal Anupriya Tushar Yadav Bizzy Boyfire Aabid Khan Malik Malik
Rajesh Kumar
White गज़ल ****************************************** अब पहले जैसा मेरे दिल को कोई दुखाता तो नहीं है। आती जातीं हैं शामें, पर कोई आता जाता तो नहीं है। बोझ जिंदगी की अपने सर पर लिए ढो रहा हूं मैं भी, मतलबी दुनिया में कोई दिल को बहलाता तो नहीं है। हारकर यह जिंदगी रोज़ जाने कहां वह खो जाती है? ग़म- ए-हालात आसानी से अब ढल पाता तो नहीं है। आईना देखकर तसल्ली ना हुई तो मैंने तुमको देखा, वही सूरत इन आंखों में अब नज़र आता तो नहीं है। सिसकियां भर भर कर अब रातों को गुजार देता हूं, थपकियां दे देकर मुझको कोई सुलाता तो नहीं है। एक मुद्दत थी ख्यालों का अब वह भी गुजर गया है, कमबख़्त इश्क़े आग सीने में जला पाता तो नहीं है। कभी पास से गुजरा तो जन्नत ए बहार भी मिलेगी, सज़ा यही है कि कोई खुद में उतर पाता तो नहीं है। बेफिक्र होके आज भी मैं फिर गुमनाम हो जाता हूं, अब कोई ख्वाब मुझको रातों में जगाता तो नहीं है। **************************************** ---राजेश कुमार गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) दिनांक:-19/06/2024 ©Rajesh Kumar #गज़ल
Nilam Agarwalla
White मिज़ाज अपने कहाँ आज है ठिकाने पर हुजूर आए हैं मेरे ग़रीब-खाने पर पिघल रही है मुसलसल जो बर्फ़ आँखों से अज़ीब धूप है पलकों के शामियानें पर न जाने आ गए क्यूँ उस की आँखों में आँसू जो हंस रहा था मिरे दर्द के फ़साने पर ज़रा सी सम्त बदल ली जो अपन मर्जी से तो नाव आ गई तुफ़ान के निशाने पर ख़ुदा बचा के रखे 'मीना 'उस घड़ी से हमें कि बात ठहरे कभी उस के आज़माने पर मीना नक़वी ©Nilam Agarwalla #गज़ल
Sunil Kumar Maurya Bekhud
बंजर का इक बबूल हूं, करता न कोई प्यार पहना दिया है रब ने क्यों कांटों का मुझको हार कहते हैं लोग मुझको मैं किसी काम का नहीं जड़ से ही काट देते हैं ,देते हैं मुझको मार पत्थर पर भी उग जाता हूं ,पानी नहीं जहां मेरे गुलों से जाने क्यों आती नहीं बहार कोई पथिक ना बैठता डरता है छांव से सुनता नहीं है कोई भी दिल की मेरे पुकार हर कोई मेरी और है नफरत से देखता बेखुद ये देख दिल मेरा दुखता है बार-बार ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #बबूल #गज़ल #हिंदी #सुनील कुमार मौर्य बेखुद
Raees Mann Tilhari
غزل چراغِ دل نہ جلائیں گے اب کسی کے لیے۔ کباڑ کھول دیے ہم نے روشنی کے لیے۔ تری گلی سے جو مایوس ہو کے لوٹے تو۔ ٰ قدم بڑھے ہی نہیں پھر کسی گلی کے لیے۔ خطوط کمرے سے سارے نکال پھینکے ہیں۔ سکون چاہیے اب مجھ کو زندگی کے لیے۔ مجھے کسی کے تصوّر کی کیا ضرورت ہے۔ ترا خیال ہی کافی ہے شاعری کے لیے۔ مجھے حیات میں کیسے سکون آئے گا ۔ کسی کو چھوڑ کے آیا ہوں میں کسی کے لیے۔ رئیس "من" تلہری ©Raees Mann Tilhari #गज़ल
Vivek
तू हवा की शक्ल अकल बादलों की इश्क़ को करे शुमार तू ग़ज़ल काग़ज़ों की...!!! ©Vivek #गज़ल