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कडा़के कि ठंड है आज पर रजाई दूर फेंका हूँ हैं कई द

कडा़के कि ठंड है आज
पर रजाई दूर फेंका हूँ
हैं कई दोस्त यहाँ 
मगर चुपचाप बैठा हूँ

क्यूँकि आ गई है याद तेरी माँ मुझे 
एक बार फिर आँखों के सामने देखना चाहता हूँ 
माँ तुझे

चाहता रोउ। हूँ जीभर कर तेरी गोदी मैं
और बताऊ इक इक बात माँ
चाहता हूँ भूल।जाऊ
 लेकिन भूल नहीं पा रहा वो डरावनी रात माँ

जिस रात देखा था माँ मैंने तुझे जीभरकर
बहते रहे आँसू थरथराता रहा शरीर 
तुझसे दूर होकर 
लेकिन बदला नहीं विधान उस विधाता कि
जता दिया पत्थर दिल है भगवान
तुझे मुझसे दूर कर
                                          @nuj_____AK____

©Anuj #RecreateBachpan 
#Time
कडा़के कि ठंड है आज
पर रजाई दूर फेंका हूँ
हैं कई दोस्त यहाँ 
मगर चुपचाप बैठा हूँ

क्यूँकि आ गई है याद तेरी माँ मुझे 
एक बार फिर आँखों के सामने देखना चाहता हूँ 
माँ तुझे

चाहता रोउ। हूँ जीभर कर तेरी गोदी मैं
और बताऊ इक इक बात माँ
चाहता हूँ भूल।जाऊ
 लेकिन भूल नहीं पा रहा वो डरावनी रात माँ

जिस रात देखा था माँ मैंने तुझे जीभरकर
बहते रहे आँसू थरथराता रहा शरीर 
तुझसे दूर होकर 
लेकिन बदला नहीं विधान उस विधाता कि
जता दिया पत्थर दिल है भगवान
तुझे मुझसे दूर कर
                                          @nuj_____AK____

©Anuj #RecreateBachpan 
#Time
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