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था जब तक मैं खयालों में सुकून बोहोत हुआ करता था ज

था जब तक मैं खयालों में
सुकून बोहोत हुआ करता था 
जो खुलीं हैं आँखें मेरी तो पता चला
गलत मैं बोहोत कुछ सोचा करता था
जो बही अचानक से धारा एक आसुओं की
तो मालूम हुआ की रास्ता था वो बरबादी का
जिसपर मैं अब तक चला करता था।। 

खयालों से तो निकाल दिया तूनें
रास्ता वो बरबादी का देखना चाहिए था
कुछ देर और रुक कर 
वो आसूँ देखने चाहिए थे 
वो बेवजूद जिंदगी देखनी चाहिए थी
वो मैं जिस से मैं खुद डरता था
उस मैं को देखना चाहिए था।। ।। 

बोहोत बोलता था वो पुराना मैं की
तू जहाँ रहे खुश रहे
लेकिन अब उसे समझाना मुश्किल होने वाला है 
उसे फुसलाना बोहोत मुश्किल होने वाला है 
तेरे पास जाने से रोकना खुदको
नामुमकिन सा होने वाला है 
लेकिन अब समझाना होगा इस मासूम दिल को की 
बोहोत जल्द तू किसी और का होने वाला है।। 

पर गुस्सा नहीं हूँ तुझसे, थोड़ी नाराज़गी है
और वो तो देख रहने वाली है 
माना तूने जो किया हमारे भले के लिए किया
लेकिन उसके बदले में
तूनें मेरे जिस्म से रूह निकाली है
पर गुस्सा नहीं हूँ तुझसे क्योंकी वो 
आजादी तो मैंने अपने आप को दे ही नहीं डाली है।। 

था भले ही रास्ता वो बरबादी का 
सुकून बोहोत वो दिलाता था 
रास्ते को तो अब बदल दिया है मैंनें
सुकून नज़र नहीं आता है 
लौट आओ न वापस अब 
बरबादी का रास्ता वही मुझे भाता है।।

©सत्येंद्र सिंह
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