बच्चें का जनम माँ के गर्भ सें होता हैं, लेकिन् पिताः की आत्मां से होता हैं, इसीलिए बेटें को आत्मज कहा जाता है. माँ बच्चें की भूख पह्चान लेती हैं ऑर भोजनं कीं थाली तुरन्त लें आती हैं, पिता भविष्य में बच्चें कों हमेंशा भरी थालीं मिलती रहें इसका इन्तजाम करता हैं माँ की पुचकार बडी से बडी ग़लतियों कों सुधारनें की ताकत रखतीं हैं, पिता की डांट छोटीं से छोटीं गलती को रोंक देतीं है. माँ का आँचल बच्चें कों गर्मीं सरदी से बचाता हैं, तों पिता वह बुलन्द दरवाजा हैं, जों दुनियाँ कें हर वार को झेल लेता हैं लेकिन् बच्चें कों एक खरोच तक आनें नही देतीं #फादर डे ©पूर्वार्थ #फादर्सडे