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काम में इतनी देरी क्यों? इतनी हेरा-फेरी क्यों?

काम में इतनी देरी क्यों?
इतनी  हेरा-फेरी   क्यों?

जब तेरा है कुछ भी नहीं,
नाहक   मेरा  मेरी  क्यों?

अपना-अपना पक्ष रखो,
तर्क  से   घेरा-घेरी  क्यों,

नाम से है आजाद मगर, 
पाँव में इसके बेरी क्यों?

आसमान  में  तारे  इतने,
फिर भी रात अंधेरी क्यों?

सच से हैं वाकिफ दोनों, 
फिर ये सीना जोरी क्यों?

होता  इसका  हश्र  बुरा, 
बनते लोग नशेडी क्यों?

रघुपति कृपा बिना 'गुंजन', 
सब धन बाइस पसेरी क्यों?
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #सब धन बाइस पसेरी क्यों?#
काम में इतनी देरी क्यों?
इतनी  हेरा-फेरी   क्यों?

जब तेरा है कुछ भी नहीं,
नाहक   मेरा  मेरी  क्यों?

अपना-अपना पक्ष रखो,
तर्क  से   घेरा-घेरी  क्यों,

नाम से है आजाद मगर, 
पाँव में इसके बेरी क्यों?

आसमान  में  तारे  इतने,
फिर भी रात अंधेरी क्यों?

सच से हैं वाकिफ दोनों, 
फिर ये सीना जोरी क्यों?

होता  इसका  हश्र  बुरा, 
बनते लोग नशेडी क्यों?

रघुपति कृपा बिना 'गुंजन', 
सब धन बाइस पसेरी क्यों?
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #सब धन बाइस पसेरी क्यों?#

#सब धन बाइस पसेरी क्यों?# #कविता