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ये जाता हुआ दिसंबर, धूप से महरूम अंबर , अलसाई हुई

ये जाता हुआ दिसंबर,
धूप से महरूम अंबर ,
अलसाई हुई शनिचर,
अब नहीं आएगी कभी एकसाथ लौटकर।

अलविदा! अलविदा ! अलविदा !
ए गुजरा हुआ वक्त,
बदलता हुआ शख्स ,
निकली हुई आहें,
छूटती हुई राहें।।

©Shivam kumar
  #udaan