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मैं कौन हूँ यह सवाल नही जवाब है तुम्हें मैं जानती

मैं कौन हूँ यह सवाल नही जवाब है तुम्हें
मैं जानती हूँ मैं कौन हूँ?
हाँ मैं एक औरत हूँ
जिसके भीतर साहस और ताकत पनपता है
जिसे हर बार 
बार-बार तुम अपनी ताकतों से झकझोर देते हो
मुझे मेरी मर्यादा पता है
लेकिन क्या ये मर्यादा का ज्ञान तुम पर नही लागू
शब्दों के पुलनदो से नही पूर्ण होती ये शिकायते
क्योंकि मैं जानती हूं कि मैं कौन हूँ!
हर रोज हिंसा की हिस्सा हूँ
हर रोज खबरों की बाशिन्दा हूं
मेरे बिन ये देश ये धरती सूनी है
क्योंकि नारी ही संसार की जगतकरणी है
मैं जानती हूँ कि मैं कौन हूँ!
ए पितृसत्तात्मक सोच के लिफ़ाफ़े
अब वो दिन दूर नही जिस दिन इस सोच की जड़ खत्म हो जाएगी
पाबन्दियों का शिकंजा टूट जाएगा
बन्ध जाएगी बेड़िया तुम्हारे  कदमो में
सुना हो जाएगा हुकुम तुम्हारा
क्योंकि मैं जानती हूं कि मैं कौन हूँ!

©Akanksha Srivastava मैं कौन हूँ यह सवाल नही जवाब है तुम्हें
मैं जानती हूँ मैं कौन हूँ?
हाँ मैं एक औरत हूँ
जिसके भीतर साहस और ताकत पनपता है
जिसे हर बार 
बार-बार तुम अपनी ताकतों से झकझोर देते हो
मुझे मेरी मर्यादा पता है
लेकिन क्या ये मर्यादा का ज्ञान तुम पर नही लागू
मैं कौन हूँ यह सवाल नही जवाब है तुम्हें
मैं जानती हूँ मैं कौन हूँ?
हाँ मैं एक औरत हूँ
जिसके भीतर साहस और ताकत पनपता है
जिसे हर बार 
बार-बार तुम अपनी ताकतों से झकझोर देते हो
मुझे मेरी मर्यादा पता है
लेकिन क्या ये मर्यादा का ज्ञान तुम पर नही लागू
शब्दों के पुलनदो से नही पूर्ण होती ये शिकायते
क्योंकि मैं जानती हूं कि मैं कौन हूँ!
हर रोज हिंसा की हिस्सा हूँ
हर रोज खबरों की बाशिन्दा हूं
मेरे बिन ये देश ये धरती सूनी है
क्योंकि नारी ही संसार की जगतकरणी है
मैं जानती हूँ कि मैं कौन हूँ!
ए पितृसत्तात्मक सोच के लिफ़ाफ़े
अब वो दिन दूर नही जिस दिन इस सोच की जड़ खत्म हो जाएगी
पाबन्दियों का शिकंजा टूट जाएगा
बन्ध जाएगी बेड़िया तुम्हारे  कदमो में
सुना हो जाएगा हुकुम तुम्हारा
क्योंकि मैं जानती हूं कि मैं कौन हूँ!

©Akanksha Srivastava मैं कौन हूँ यह सवाल नही जवाब है तुम्हें
मैं जानती हूँ मैं कौन हूँ?
हाँ मैं एक औरत हूँ
जिसके भीतर साहस और ताकत पनपता है
जिसे हर बार 
बार-बार तुम अपनी ताकतों से झकझोर देते हो
मुझे मेरी मर्यादा पता है
लेकिन क्या ये मर्यादा का ज्ञान तुम पर नही लागू