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ritikas2146
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Akanksha Srivastava

"कायस्थ हूं कलम चलाती हूँ,अपनी कलम से लोगो का समय चुराती हूं"

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Akanksha Srivastava

जितना चाहा है उन्हें टूट कर

उससे कही ज्यादा खुद को जुदा पाया है

उन्हें तो गैरों की परवाह थी 

हमे उनकी परवाह थी

 हर एक पल की आस थी

पता ना था इस दिल विल के खेल में

एक रोज ये दिल कटी पतंग बन जाएगी..!!

©Akanksha Srivastava #WorldPoetryDay
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Akanksha Srivastava

निराली है काशी अद्भुत है काशी
जहाँ हर रंग की लीला है 
आओ चले महाशिवरात्रि  बाबा की शादी
जहां हर रश्म की अनोखी लीला है
हल्दी मेहंदी हर रस्म निभाती काशी
धूम धाम से ढोल-ढाक से
शंखनाद और पुष्पवर्षा से गौना कर 
महादेव संग लौटी गौरा है काशी 

फाग की फुहार चली
काशी की कुंज गलिन में
उड़े गुलाल-अबीर भभूत
रंगभरी एकादशी रंगोत्सव से 
बाबा संग होली खेलने को तैयार है काशी
आओ देखे ये निराली होली
जहाँ भूत -प्रेत अवघड़ संग चले है बाबा
मणिकर्णिका खेलन
चिता-भस्म की मसाने होली
भस्म गुलाल मे रंगे झूम रहे है जहां काशीवासी 
अरे मर्दे ई- त बड़ा ही निराली हव काशी!!

©Akanksha Srivastava निराली है काशी अद्भुत है काशी
जहाँ हर रंग की लीला है 
आओ चले महाशिवरात्रि  बाबा की शादी
जहां हर रश्म की अनोखी लीला है
हल्दी मेहंदी हर रस्म निभाती काशी
धूम धाम से ढोल-ढाक से
शंखनाद और पुष्पवर्षा से गौना कर 
महादेव संग लौटी गौरा है काशी

निराली है काशी अद्भुत है काशी जहाँ हर रंग की लीला है आओ चले महाशिवरात्रि  बाबा की शादी जहां हर रश्म की अनोखी लीला है हल्दी मेहंदी हर रस्म निभाती काशी धूम धाम से ढोल-ढाक से शंखनाद और पुष्पवर्षा से गौना कर महादेव संग लौटी गौरा है काशी #Holi #कविता

8 Love

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Akanksha Srivastava

लो खोली मैंने अलमारी
क्या पहनें अब भला ये अबला नारी
हाय वही पीला वही नीला
अब ना भाय एक भी कपड़ा
निकल पड़ी जब शॉपिंग करने
शॉपकीपर ने शुरू की अपनी बारी
हाय पकड़ कपार बैठ गया वो
पूछे मैडम अब क्या लोगे
हमने कहा तुम्हारे बस के बाहर
तुम पुरुष क्या जानो मोल
हम नारी जो करते इतना खोज
सोचो कैसे करते किसी एक को चूज!

©Akanksha Srivastava लो खोली मैंने अलमारी
क्या पहनें अब भला ये अबला नारी
हाय वही पीला वही नीला
अब ना भाय एक भी कपड़ा
निकल पड़ी जब शॉपिंग करने
शॉपकीपर ने शुरू की अपनी बारी
हाय पकड़ कपार बैठ गया वो
पूछे मैडम अब क्या लोगे

लो खोली मैंने अलमारी क्या पहनें अब भला ये अबला नारी हाय वही पीला वही नीला अब ना भाय एक भी कपड़ा निकल पड़ी जब शॉपिंग करने शॉपकीपर ने शुरू की अपनी बारी हाय पकड़ कपार बैठ गया वो पूछे मैडम अब क्या लोगे #girl #कविता

8 Love

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Akanksha Srivastava

मुझे सादगी पसन्द है 
उन्हें हमारी खूबसूरती
मुझें काली बिंदी पसन्द है 
उन्हें हमारी काली साड़ी!!

©Akanksha Srivastava मुझे सादगी पसन्द है 
उन्हें हमारी खूबसूरती
मुझें काली बिंदी पसन्द है 
उन्हें हमारी काली साड़ी

मुझे सादगी पसन्द है उन्हें हमारी खूबसूरती मुझें काली बिंदी पसन्द है उन्हें हमारी काली साड़ी #शायरी

8 Love

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Akanksha Srivastava

सुनो एक बात है कहना 
इश्क़ है हमे तुमसे 
इस बात का जिक्र है करना 
कब तक रखूं दिल की।बात दिल मे 
इज़हारे मोहब्बत है गर करना 
तोह चलो कह दू इस वेलेंटाइन वीक में 
इस फूल सी गुलाब को कौन सा गुलाब दू 
मोहतरमा बड़ा नटखट है ये दिल 
आखिर इज़हारे वफ़ा तुम्हें कैसे करूँ 
अगर कहो तोह दूध सी धुली हुई इस जर्द को 
चॉकलेट के परत से ढाक दू 
अगर तुम रूठ गए 
तोह टेडी सा बूकली-वुकली प्यार दू 
करता हूं वादा 
करता हूं वादा इस साथ को निभाने का 
ना हो भरोसा तोह गले लग धड़कनें वार दू 
इस गुलाब सी सुर्ख पंखुड़ियों को चूम 
इस वेलेंटाइन वीक अपने प्यार को एक नाम दू 
गर ना हो भरोसा इस दिल पर 
तोह सुनो 
पलट वार तुम भी करो 
ये गुलाबी भंवर है प्रिये 
आधा तेरा आधा मेरा 
तोह इज़हारे दिल की रश्में क्यों ना पूरी करू 
अगर साथ ही चलना 
तोह चलो करदूँ एक और इजहार इस वेलेंटाइन 
क्या तुम्हें भी है सात जन्म मेरे साथ चलना...!!

©Akanksha Srivastava सुनो एक बात है कहना 

इश्क़ है हमे तुमसे 

इस बात का जिक्र है करना 

कब तक रखूं दिल की।बात दिल मे

सुनो एक बात है कहना इश्क़ है हमे तुमसे इस बात का जिक्र है करना कब तक रखूं दिल की।बात दिल मे #कविता #proposeday

9 Love

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Akanksha Srivastava

"चलो इश्क का आगाज़ करते है
इस महीनें अपने प्यार का इजहार करते है
ये दिल का मामला है दिल से कह लो
वरना लिफाफों में तो हजारों खत तुम्हारे नाम करते है!"

©Akanksha Srivastava #Glow
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Akanksha Srivastava

बड़ा नटखट है  ये नन्हा दिल

करता बड़ी शरारत है

कभी रूठता है

कभी सताता है

करीब आते ही धक धक धड़कता है

ये नन्हे दिल की बदमाशियां

इश्क करा बैठता है...!

©Akanksha Srivastava #toyheart
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Akanksha Srivastava

इश्क़ बंदिश नही आजाद है
प्रेम किसी को मोह सकता है
प्रेम किसी को जकड़ सकता है
लेकिन बंदिश पसन्द नही उसे
ये भले ही कृष्णा अपने उपदेश में कहता है
हमें तो अंधेरों में चीख के रोने का मन करता है
याद आती है उनकी हर एक पल
अब तो घुट घुट कर जीने का मन करता है
बेवज़ह इश्क कर बैठे
अब तो हँसने का भी जी नही करता है
कमबख्त ये कैसी बीमारी है
जो हुई खुद पर भारी है
ना मर्ज है ना मलहम लगाने वाला
अब तो जिंदगी सुना सुना सा लगता है!

©Akanksha Srivastava #HeartBreak
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Akanksha Srivastava

 
आज फिर एक बार बारिश ने मुझे भींगो दिया
उनके यादो का हर एक मंजर
इन आँखों के आगे घूमा दिया
उनकी शरारती आंखे
और गुफ्तगू करते होंठ
इन होठो से टकरा गए
इस टक्कर के घेराव में
एक बिजली सा अहसास हुआ
आज फिर एक बार बारिश ने मुझे भींगो दिया
थिरकते लब फिरती उंगलियों से पूछो
क्या अब इन जिस्मो की ख्वाहिश नही उन्हें
आँखे खुली तो ये मंजर नही ख्वाब था
और वो बारिश नही आँसुओ का बौछार था
आज फिर एक बार बारिश ने मुझे भींगो दिया!

©Akanksha Srivastava #beinghuman
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Akanksha Srivastava

तुम यू क्यों उदास बैठी हो
चलो उठो और एक नयी शुरुआत करो,
देखों वो निकल गया आंखों में धूल झोंक
अब तो तुम भी अपने आँखों को साफ करो,
यू कब तक रोगे घुट घुट कर
यू कब तक रोगे घुट घुट कर ,
अब तुम भी तो उसका तिरस्कार करो
बहुत हुआ रोना धोना,
बहुत हुआ मोहाना
वो जा चुका है तेरी गलियों से ,
अब खुद को संभालो और आगे बढ़ो
भूल जाओ उसके वादे सारे,
क्योंकि अब उन वादों का कोई मोल नही
देखो आईना अपनी सूरत का नही ,
अपने रूह का जो अभी तेरे साथ खड़ा है
तुम लड़ो तुम अकेले नही ,
फिर यू क्यों बन्द कमरों में छुप रोना
मैं रूह तेरी सब जानती हूं,
तुझे लोगो पर नही तो मुझपर तो विश्वास करो
चलो उठो मत रो अब आगे बढ़ो ,
वो जा चुका है तेरी गलियों से
अब तुम भी तो जीवन को यू बेकार ना करो!!!

©Akanksha Srivastava तुम यू क्यों उदास बैठी हो
चलो उठो और एक नयी शुरुआत करो,
देखों वो निकल गया आंखों में धूल झोंक
अब तो तुम भी अपने आँखों को साफ करो,
यू कब तक रोगे घुट घुट कर
यू कब तक रोगे घुट घुट कर ,
अब तुम भी तो उसका तिरस्कार करो
बहुत हुआ रोना धोना,

तुम यू क्यों उदास बैठी हो चलो उठो और एक नयी शुरुआत करो, देखों वो निकल गया आंखों में धूल झोंक अब तो तुम भी अपने आँखों को साफ करो, यू कब तक रोगे घुट घुट कर यू कब तक रोगे घुट घुट कर , अब तुम भी तो उसका तिरस्कार करो बहुत हुआ रोना धोना, #Woman #कविता

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