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यूँ तो संघर्ष अप्रिय लगते हैं पर मुझे बेहद प्रिय

यूँ तो संघर्ष अप्रिय लगते हैं 
पर मुझे बेहद प्रिय है संघर्ष करना 
तुम्हें मुस्कुराते हुए देखने के लिए।

सैकड़ों की भीड़ में 
मैं तुम्हें खोज लेता हूँ 
इधर-उधर निगाहों के संघर्ष से।

ठहठहाकों के बीच तुम्हारी मुस्कान 
माधुर्य और यौवन से परिपूर्ण 
सुकूँ देती है मेरे संघर्ष को।

©शुभम द्विवेदी संघर्ष
यूँ तो संघर्ष अप्रिय लगते हैं 
पर मुझे बेहद प्रिय है संघर्ष करना 
तुम्हें मुस्कुराते हुए देखने के लिए।

सैकड़ों की भीड़ में 
मैं तुम्हें खोज लेता हूँ 
इधर-उधर निगाहों के संघर्ष से।

ठहठहाकों के बीच तुम्हारी मुस्कान 
माधुर्य और यौवन से परिपूर्ण 
सुकूँ देती है मेरे संघर्ष को।

©शुभम द्विवेदी संघर्ष