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कुछ पल मैं जो बैठा योंही सोचने तुम्हारे बारे में त

कुछ पल मैं जो बैठा योंही सोचने
तुम्हारे बारे में तो पाया है की मेरी
मंज़िल और है मेरी राहें ओर है
कुछ पल ही सही तुम ही मेरे
सफ़र में साथ, मेरे साये की तरह
पर शायद अलग होना ही सही था
क्योंकि न वो मेरी मंज़िले है न
मेरी राहें है जहांँ थे हम साथ

©SAHIL KUMAR
  योंही
sahilkumar8501

SAHIL KUMAR

New Creator

योंही #कविता

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