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मैं और मेरा दिल टूटता गया किसी पुश्तैनी मकान की तर

मैं और मेरा दिल टूटता गया
किसी पुश्तैनी मकान की तरह,
बदल के रख दिया अपनों ने मुझे
अपनी किसी चाह की तरह,
बचा था मुझमें जो ज़रा भी
उसे सब मिल दफनाते गए,
मज़ार से बन गया मैं
सब नही चादर ओढ़ाते गए,...
••@नितिन आर्या "मुन्तज़िर"•• #मुंतज़िर शायरी
मैं और मेरा दिल टूटता गया
किसी पुश्तैनी मकान की तरह,
बदल के रख दिया अपनों ने मुझे
अपनी किसी चाह की तरह,
बचा था मुझमें जो ज़रा भी
उसे सब मिल दफनाते गए,
मज़ार से बन गया मैं
सब नही चादर ओढ़ाते गए,...
••@नितिन आर्या "मुन्तज़िर"•• #मुंतज़िर शायरी