यूँ तो कई बार लोगों से सुना है वो भी कई ज्ञानी लोगों से,किंतु वहां मै चकरा जाता हूँ,जब मेरा साक्षात्कार होता है,कोई ज्ञानी मेरा साक्षात्कार करता है, हर बार बस यही पूछ्ते है कि अङ्रेज़ि आती है? आती है ?आती है, तो क्या बोल पाते हो? मगर आज तक किसी साक्षात्कार करने वाले ज्ञानियों ने यह नहीं पूछा , हिंदी कितनी अच्छी बोल पाते हो? हिंदी सिर्फ हिंदी दिवस के लिए नहीं होती , यह हमें हर जगह लोगों को बताना पड़ेगा, कि हिंदी है हमवतन् है हिन्दुस्तान हमारा , और सभी ज्ञानियों को यह समझना चाहिए कि, साक्षात्कारियों को हमारी पात्रतानुसार कार्य के लिए चुनें, ना कि भाषा के आधार पर । हिंदी भाषियों को खूब शुभकामनाएं। हिंदी और हिंद