रचना दिनांक 161 जनवरी 2025,, वार,, गुरुवार समय। सुबह छह बजे ््भावचित्र ्् ्््निज विचार ््् ्््््जासून्दी के पुष्प पराग कण में,,्रंग बिरंगे रूप स्वरूप में , स्थित सोच पर छाया चित्र में केशरियां रंग में,, ओज जोश खरोश उन्दा सोच पर निर्भर करती है््् राजनिती और अपने विचार रखे, ताकि हम किसी किरदार में अपने आप को देख सके ,, ।यंह दुनिया सुनती हैं सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती से धन संपत्ति बाहूबल से ,, जो तुफान बनकर ज्वालामुखी बनकर घर परिवार में के मध्य सूरसा बनकर ,, जूबान की मुंहजोरी आज इस कदर हावी हो चुकी है।। धन संपत्ति की अपेक्षा और आवश्यकता ने तमाम मर्यादा ताख में रखकर अपने चरित्र का दोहन पोषण कर रही है।। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होना घर परिवार में ,, जुतममार मच जाना आम बात हो गई है।। यह आर्थिक संकट घरेलू महिला, पत्नी और बेटी, बच्चे, प्रदेश सरकार में, , देश में, आर्थिक स्थिति बेहद नाज़ुक स्थिति में हालात बेहद कमजोर, आर्थिक आपातकाल अघोषित रूप से जीवन में व्याप्त है।। मंहगाई, बेरोजगारी, से जनजीवन प्रभावित हो रहा है, और फिर भी इन्सानी मानस में कुछ तथाकथित सभ्य समाज , अपने आप को आज आर्थिक सम्पन्नता की ओर अग्रसर होने का ढिंढोरा पीटे जा रहे हैं। यह हाल में भी इन्सानी मानस में नजर आएंगी इस देश में बदल रहे, परिवर्तन से अपनी खस्ता हालत में सुधार हो सकता है । ऐसे सोच पर निर्भर करती हैं आशावादी दृष्टिकोण रखने वाले अच्छे ख्यालात रहे। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ् 16। जनवरी। 2025, ©Shailendra Anand आज का विचार नये अच्छे विचार कवि शैलेंद्र आनंद