Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम्हारी यादों से अब थोड़ी मोहलत चाहता हूं, तुम्हा

तुम्हारी यादों से अब थोड़ी मोहलत चाहता हूं,
तुम्हारे ख्याल से दूर थोड़ी हिजरत चाहता हूं।

एक मुकदमे ने झूठी दलील सुन सज़ा सुनाई है,
उस गुनाह के एवज में थोड़ी माजरत चाहता हूं।

कुबूल मुझे मेरा हर गुनाह बेशक मैं बेकसूर सही,
मैं सुकून नहीं बस अब थोड़ी मोहब्बत चाहता हूं।

अक्सर नींद और ख्वाब अपना रस्ता भटक जाते हैं,
उन भटके मुसाफिरों को थोड़ी निसबत चाहता हूं।

वो आखिरी शाम जब तुम मेरे थे, चांद उरूज़ पर था,
उस अधूरे ख्याल की पूनम को थोड़ी शरत चाहता हूं।

किताब वाला गोया ज़रा गुम—सुम ख्यालों में रहता है,
यूं गुम होने से डरता हूं सो थोड़ी हिफाज़त चाहता हूं।

©Deepak Mishra "Kitab Wala"
  तुम्हारी यादों से अब थोड़ी मोहलत चाहता हूं,
तुम्हारे ख्याल से दूर थोड़ी हिजरत चाहता हूं।


#SunSet #romance #love #yaadein #jharokha #kitabwala #poetry #ghazal #Nazma #MusicalMemories

तुम्हारी यादों से अब थोड़ी मोहलत चाहता हूं, तुम्हारे ख्याल से दूर थोड़ी हिजरत चाहता हूं। #SunSet #romance love #yaadein #jharokha #kitabwala poetry #ghazal #Nazma #MusicalMemories #शायरी

123 Views