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आदित्यस्य गतागतैरहरहः संक्षीयते जीवितम् , व्यापारै

आदित्यस्य गतागतैरहरहः संक्षीयते जीवितम्
, व्यापारैर्बहुकार्यभारगुरुभिः कालो न विज्ञायते । दृष्ट्वा जन्मजराविपत्तिमरणं त्रासश्च नोत्पद्यते,
पीत्वा मोहमयीं प्रमादमदिरामुन्मत्तभूतं जगत् ॥
 
रोज सूर्योदय, सूर्यास्त होता है। समय काम-धन्धे में बीता जा रहा है। कब समय बीत गया पता नहीं चलता। जन्म, जरा, विपत्ति, मरण देखकर त्रास उत्पन्न नहीं होता। अरे भाई, तुम किसी नशेमें चूर हो क्या ?

©Acharaya Suhridananda #spiritual

#Teachersday
आदित्यस्य गतागतैरहरहः संक्षीयते जीवितम्
, व्यापारैर्बहुकार्यभारगुरुभिः कालो न विज्ञायते । दृष्ट्वा जन्मजराविपत्तिमरणं त्रासश्च नोत्पद्यते,
पीत्वा मोहमयीं प्रमादमदिरामुन्मत्तभूतं जगत् ॥
 
रोज सूर्योदय, सूर्यास्त होता है। समय काम-धन्धे में बीता जा रहा है। कब समय बीत गया पता नहीं चलता। जन्म, जरा, विपत्ति, मरण देखकर त्रास उत्पन्न नहीं होता। अरे भाई, तुम किसी नशेमें चूर हो क्या ?

©Acharaya Suhridananda #spiritual

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