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हाय, किस दौर से गुजर रहा है बसर। सच बोल नहीं सकता

हाय,
 किस दौर से गुजर रहा है बसर।
सच बोल नहीं सकता, झूठ खोल नहीं सकता। सच्चाई कहना भी अब गुनाह हो गया। हुक्मरान तानाशाह हो गए संयम खो गया।
ये सीखा रहे हैं चुप रहना,
नोहरा, आलोचना का दौर अब खत्म हो गया।

©Suneel Nohara
  दौर,,,, Rakesh Srivastava कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211 Anshu writer Ritu Tyagi चाँदनी