व्यक्तित्व आप का है अद्भुत ,कर रहा प्रकाशित जन मन

व्यक्तित्व आप का है अद्भुत ,कर रहा प्रकाशित जन मन को |
वाणी है मधुरिम अमिय सदृश ,अभिसिंचित करती जीवन को ||
मर्मज्ञ  मर्म स्पर्शी और ,ममता की हो मंगलमूर्ति |
सुविचार सरस सर्वज्ञ  सदा ,सुन्दरता की हो प्रतिमूर्ति ||
शालीन शिष्ट साहस अदम्य ,विश्वास अडिग सुनियोजित मन |
कोमल कपोल कर कमल और,लोचन लालित्य  सुगन्धित तन | 
सम्पन्न सुशील सुकोमल अति ,समृद्ध सुयश  और कर्मशील  |
कर्तव्यनिष्ठ मनमोहक छवि ,तुम विपुल विलक्षण  मननशील ||
निर्झर निरन्तर निर्विरोध ,नित निखिल निकुँज में बह रहा |
सुन्दर सुबोध बहु विधि  तेरा,वृत्तान्त  वर्णित  कर रहा ||
मैं निराधार निर्लज्ज नीच ,निष्ठुर निर्मोही व्यभिचारी |
अनभिज्ञ अधम अनियन्त्रित मन ,अति धूर्त और अत्याचारी ||
अवगुण अनगिनत समाहित हैँ ,मेरे मन सूक्ष्म  सरोवर में  |
कर दो पावन भर अमिय अंबु ,मेरे मन शुष्क सरोवर में  ||

©पूर्वार्थ #specialperson
व्यक्तित्व आप का है अद्भुत ,कर रहा प्रकाशित जन मन को |
वाणी है मधुरिम अमिय सदृश ,अभिसिंचित करती जीवन को ||
मर्मज्ञ  मर्म स्पर्शी और ,ममता की हो मंगलमूर्ति |
सुविचार सरस सर्वज्ञ  सदा ,सुन्दरता की हो प्रतिमूर्ति ||
शालीन शिष्ट साहस अदम्य ,विश्वास अडिग सुनियोजित मन |
कोमल कपोल कर कमल और,लोचन लालित्य  सुगन्धित तन | 
सम्पन्न सुशील सुकोमल अति ,समृद्ध सुयश  और कर्मशील  |
कर्तव्यनिष्ठ मनमोहक छवि ,तुम विपुल विलक्षण  मननशील ||
निर्झर निरन्तर निर्विरोध ,नित निखिल निकुँज में बह रहा |
सुन्दर सुबोध बहु विधि  तेरा,वृत्तान्त  वर्णित  कर रहा ||
मैं निराधार निर्लज्ज नीच ,निष्ठुर निर्मोही व्यभिचारी |
अनभिज्ञ अधम अनियन्त्रित मन ,अति धूर्त और अत्याचारी ||
अवगुण अनगिनत समाहित हैँ ,मेरे मन सूक्ष्म  सरोवर में  |
कर दो पावन भर अमिय अंबु ,मेरे मन शुष्क सरोवर में  ||

©पूर्वार्थ #specialperson
"वजह कुछ, भी हो पास 
अभी भी आजाओ।

"मेरा बाहो का सुकून, मुझे लौटा देना फिर जाकर डोली अपनी सजाओ।।

©Abhishek tripathi#chgr@c #specialperson
"वजह कुछ, भी हो पास 
अभी भी आजाओ।

"मेरा बाहो का सुकून, मुझे लौटा देना फिर जाकर डोली अपनी सजाओ।।

©Abhishek tripathi#chgr@c #specialperson
कुछ  आवाजें दफन भी करनी होती है 
रिश्तों को यूँ  सहज -संभालने के लिए 
हर ख्वाहिश की यहाँ अपनी कीमत है 
उधार कुछ नही,नकद अदायगी होती है

©Advocate Suraj Pal Singh #specialperson
कुछ  आवाजें दफन भी करनी होती है 
रिश्तों को यूँ  सहज -संभालने के लिए 
हर ख्वाहिश की यहाँ अपनी कीमत है 
उधार कुछ नही,नकद अदायगी होती है

©Advocate Suraj Pal Singh #specialperson