एक खौफ एक डर सा लग रहा जाने क्या पीछे छूटते का रहा। लोग कहते हैं बहुत चालाक हूं मैं लेकिन गर पढ़ सको तो खुली किताब हूं मैं। चालाकियां तो चुप रह की जाती है जो सुन सको तो शेरनी की दहाड़ हूं मैं। जो भी कहती हूं खुले आम कहती हूं जो भी करती हूं सरेआम करती हूं। तुम्हारी तरह तो बिल्कुल नही जो अपना कह भरोसे का कत्लेआम करती हूं। कमियां बहुत है मुझमें, लेकिन दोस्तो के लिए दिलो जान देती हूं। क्या ये एक अच्छाई पूरी नहीं मेरे साथ होने की। तुम्हारी सारी अच्छाइयों को दिल से सलाम देती हूं। आज तुझे ये पैगाम देती हूं की अलविदा दोस्त मुझसे दूर कर तुझे सारे खुशियों का आयाम देती हूं। गुजारिश है, सही को सही ना कह सको तो मुंह फेर लेना लेकिन गलत को सही कह सच्चों का दिल न तोड़ देना। #अलविदामेरेडोस्ट