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छूना,चूमना, चाटना, मोहब्बत हैं आज के जमाने की। रो

छूना,चूमना, चाटना,
 मोहब्बत हैं आज के जमाने की।
रोशनी की ओर जाना, फिर
जल जाना फितरत है परवाने की।

बदन का बदन से मिलन
कुदरत का निज़ाम हैं,
मोहब्बत का इसे नाम देना,
आदत है दिल को बहलाने की।

निराकार से दिल लगा कर देखो,
कभी कमलेश एक बार।
सच्ची मोहब्बत का अहसास होगा
फिर जरूरत क्या किसी बहाने की।

©Kamlesh Kandpal
  #Kissingthemoon