WRITTEN BY:- शुभम जैन "पराग" उदयपुर(राज.)7688962220 ज़िन्दगानी =========== इसका अपना एक किस्सा है है, इसकी अपनी एक कहानी है अभी सूख गए तो क्या हुआ? इसमें फिर बहार आनी है,, क्यों हार मानते हो खुद से?? अभी तो शुरू हुई तुम्हारी जवानी है.. मत कहो किससे असफलताओं के, दुनिया को तुम्हें कामयाबी की दास्तान सुनानी है.. बढ़ चलो लक्ष्य की ओर और चमको ऐसा सारा जहां कहे , चेहरे पर यह चमक नूरानी है.. जीना ऐसा हो कि जिंदगी भी कहे! इस जीने का सुकून रूहानी है और क्या कहिए जनाब इस सुकून का कभी एक पल के लिए तरसना है, कभी हर पल में जिंदगानी है कभी हर पल में जिंदगानी है,,,,,, #poem #shubham jain