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आदमी बुलबुला है पानी की और पानी की बहती सतह पर,टूट

आदमी बुलबुला है पानी की
और पानी की बहती सतह पर,टूटता भी है डूबता भी है.....
फिर उतरता है,फिर से बहता है, न समुन्दर निगल सका इस को,न तबरिक तोर पाई है...
वक़्त की हतेली पर बहता,
आदमी बुलबुला है पानी का.... #शायरी
आदमी बुलबुला है पानी की
और पानी की बहती सतह पर,टूटता भी है डूबता भी है.....
फिर उतरता है,फिर से बहता है, न समुन्दर निगल सका इस को,न तबरिक तोर पाई है...
वक़्त की हतेली पर बहता,
आदमी बुलबुला है पानी का.... #शायरी