शाम होने को है घर जाते हैं अब बुलन्दी से उतर जाते

शाम होने को है घर जाते हैं 
अब बुलन्दी से उतर जाते हैं

ज़िंदगी सामने मत आया कर 
हम तुझे देख के डर जाते हैं

ख़्वाब क्या देखें थके हारे लोग 
ऐसे सोते हैं कि मर जाते हैं

©विवेक तिवारी
  #रात्रि
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