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ख्वाइश थी ताउम्र तेरी आंखों का काजल बन कर रह जाने

ख्वाइश थी ताउम्र तेरी आंखों का काजल बन कर रह जाने की
  हर बला से तुझको बचाकर तेरे बिन कहें सब कुछ कह जाने की 
काश कि ये मुमकिन होता आयी होती रात मिलन की
पर क्या करें एक तरफ थी अर्थी , एक तरफ थी डोली दुल्हन की

©Prakash Solanki
   #Judaai #shayri #Dard