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क्या खून के प्यासे हो ? क्यों खून के प्यासे हो? क्

क्या खून के प्यासे हो ?
क्यों खून के प्यासे हो?
क्या राज्य बढ़ानाहे?
साम्राज्य बढ़ाना है?
करना है हुकूमत क्या?
क्या विश्व पे छाना हे?
क्या धर्म के रक्षक हो?
रक्षक हो या भक्षक हो?
क्या तुम को शिकायत है
क्यों तुम को शिकायत है
जो ढंग तुम्हारा है
वो ढंग नहीं मेरा।
जो रंग तुम्हारा है
वो रंग नहीं मेरा।
जो असल तुम्हारी है 
वह असल नहीं मेरी।
जो नस्ल तुम्हारी है
वह नस्ल नहीं मेरी!
 इस बात पर तुम इतने
नाराज हो क्या मुझसे!
क्या खून पियोगे तुम?
क्यों खून पियोगे तुम?
वह खून जमा है जो
वह खून जो काला है!
वह खून बसा है जो
बारूद की बदबू से!
वो खून जो जख्मों से
ना निकला !न  बह पाया!
वो खून जो ग़म अपना
अश्कों से न कह पाया!
जो दर्द की शिद्दत से
ख़ामोश न रह पाया!
वो खून जो बीवी का
सिंदूर न भर पाया!
वह  ख़ून जो बेटी का 
सेहरा न सजा पाया!
 वह खून की बूंदे जो
 मेहंदी ना रचा पाईँ!
वह खून जिसे मां की
दुआएं ना बचा पाईं!
वह खून पियोगे तुम!
क्या ख़ून पिओगे तुम?

©Mumtaz Ahmed Khan क्या ख़ून पिओगे तुम?

#darkness
क्या खून के प्यासे हो ?
क्यों खून के प्यासे हो?
क्या राज्य बढ़ानाहे?
साम्राज्य बढ़ाना है?
करना है हुकूमत क्या?
क्या विश्व पे छाना हे?
क्या धर्म के रक्षक हो?
रक्षक हो या भक्षक हो?
क्या तुम को शिकायत है
क्यों तुम को शिकायत है
जो ढंग तुम्हारा है
वो ढंग नहीं मेरा।
जो रंग तुम्हारा है
वो रंग नहीं मेरा।
जो असल तुम्हारी है 
वह असल नहीं मेरी।
जो नस्ल तुम्हारी है
वह नस्ल नहीं मेरी!
 इस बात पर तुम इतने
नाराज हो क्या मुझसे!
क्या खून पियोगे तुम?
क्यों खून पियोगे तुम?
वह खून जमा है जो
वह खून जो काला है!
वह खून बसा है जो
बारूद की बदबू से!
वो खून जो जख्मों से
ना निकला !न  बह पाया!
वो खून जो ग़म अपना
अश्कों से न कह पाया!
जो दर्द की शिद्दत से
ख़ामोश न रह पाया!
वो खून जो बीवी का
सिंदूर न भर पाया!
वह  ख़ून जो बेटी का 
सेहरा न सजा पाया!
 वह खून की बूंदे जो
 मेहंदी ना रचा पाईँ!
वह खून जिसे मां की
दुआएं ना बचा पाईं!
वह खून पियोगे तुम!
क्या ख़ून पिओगे तुम?

©Mumtaz Ahmed Khan क्या ख़ून पिओगे तुम?

#darkness

क्या ख़ून पिओगे तुम? #darkness #शायरी