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उस बारिश की हर बूंद का हिसाब रखा हुआ है जब साथ भी

उस बारिश की हर बूंद का 
हिसाब रखा हुआ है
जब साथ भीगे थे हम।
हाथ पकड़ चलते हुए तुमने
खींच लिया था अचानक
गुलाब की डाली के करीब से
हौले से छू गई वो पत्तियां
आज भी हरी हैं वहां।

एक बूंद जो पलकों पर
ठहर गई थी उस पल
आज भी अटकी हुई है
एक झालर बनाई है उसने
अनगिनत मोतियों की।

उस एक बूंद में नमी थी
मेरे टूटे हुए अतीत की
जिसे चुनकर तुमने
सिरहाने रख लिया था 
मीठी हो गई थी जो सुबह।

उस एक बारिश ने साथिया 
बंजर मन को हरा कर दिया
अब वहां फूल खिलते हैं
जिनसे बूंद बूंद इश्क झरते हैं

©Raj Alok Anand
  #बारिश