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मेरी गलतियों की कोई गिनती नहीं है फिर भी जो मुझे च

मेरी गलतियों की कोई गिनती नहीं है फिर भी जो मुझे चाहते हैं मैं उन लोगों पर कुर्बान जाता हूं मैं अहंकार से भरा पुतला आप लोगों से थोड़ा गियान चाहता हूं मुझे अपनी पलकों पर बिठहाओ थोड़ी दुनियां दारी मुझे भी सिखाओ आप लोगों से बस इतना एहसान चाहता हूं मेरे अंदर जो लोब है इस दुनियां में रहने ना योग है मेरे अंदर जो क्रोध का समन्दर है मैं उस मे कहीं डूबता जा रहा हूं मोह माया के चक्र व्यूह में फस कर कितने पाप कमाए जा रहा हूं कामदेव के तीर से मैं ख़ुद को ना बचा पाता हूं मेरी गलतियों की कोई गिनती नहीं है फिर भी जो मुझे चाहते हैं मैं उन लोगों पर कुर्बान जाता हूं

©Dev Singh 
  meri galtiyan
devsingh4149

Dev Singh

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meri galtiyan #ਸ਼ਾਇਰੀ

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