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अमृतसर आकर रेल रूकी लाशों का ढ़ेर लग गया छेदी सि

अमृतसर आकर रेल रूकी  लाशों का ढ़ेर लग गया 
छेदी सिंह का दिल दहल गया जल आंखों में भर आया
 
किसने छूट इतनी दे दी किस के इशारे पर यह तांडव हुआ 
कानों कान ना खबर हुई कोई गंजा नंगा पाखंडी  खेल गया 

कुछ कह ना सके अनगिनत बेगुनाह निहत्थो की लाशों पर 
अपना राष्ट्र दो टुकड़ों में बंट कर आजाद हुआ 








हम साफ नियत और दिलवाले  आगे और आगे बढ़ चले 
वो खोट नियत में पाले हुए आज भी खेल वही खेल रहे 

चले मिटाने औरों को अपने कर्मो की जरा भी फिक्र नहीं 
सबको गैर समझने वाले अपनी करतूतों का करते जिक्र नहीं
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  vineetapanchal  R...Ojha  Ravi Ranjan Kumar Kausik  KK क्षत्राणी  RAMA Goswami  Lalit Saxena
अमृतसर आकर रेल रूकी  लाशों का ढ़ेर लग गया 
छेदी सिंह का दिल दहल गया जल आंखों में भर आया
 
किसने छूट इतनी दे दी किस के इशारे पर यह तांडव हुआ 
कानों कान ना खबर हुई कोई गंजा नंगा पाखंडी  खेल गया 

कुछ कह ना सके अनगिनत बेगुनाह निहत्थो की लाशों पर 
अपना राष्ट्र दो टुकड़ों में बंट कर आजाद हुआ 








हम साफ नियत और दिलवाले  आगे और आगे बढ़ चले 
वो खोट नियत में पाले हुए आज भी खेल वही खेल रहे 

चले मिटाने औरों को अपने कर्मो की जरा भी फिक्र नहीं 
सबको गैर समझने वाले अपनी करतूतों का करते जिक्र नहीं
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  vineetapanchal  R...Ojha  Ravi Ranjan Kumar Kausik  KK क्षत्राणी  RAMA Goswami  Lalit Saxena