मिल कर बिछड़ना ,बिछड़कर कर तड़पना, तड़प कर मिलना और मिल कर सांथ चलना। कुछ और नही सब किस्मत की बात हैं। हम जीते तो हैं अपने लिये पर मरेंगे किसपर ये तय करते एक दूसरे के जज्बात है। :-श्याम कवि रामकृष्ण नेताम $ubha$"शुभ"