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तुम गंगा नदी का घाट हो तो, मै हू गंगाजल का धार प्र

तुम गंगा नदी का घाट हो तो,
मै हू गंगाजल का धार प्रिये,
राधे कृष्ण के साथ जैसा,
है हम दोनों का भी साथ प्रिये,
आता हूं तेज़ लहर सा बनकर तुमको चूमने कभी कभी,
चूमता तो हू, 
पर होता है शीघ्र बिछड़ने का आभास प्रिये।

©Kavyarpan.in
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